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Depreciation meaning in hindi | डेप्रिसिएशन मीनिंग इन हिंदी

Depreciation meaning in hindi | डेप्रिसिएशन मीनिंग इन हिंदी

Depreciation meaning in hindi | डेप्रिसिएशन मीनिंग इन हिंदी

Depreciation meaning in hindi :- आज की इस लेख के मदद से हम डेप्रिसिएशन मीनिंग इन हिंदी के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले हैं।

आपने कभी ना कभी Account की पढ़ाई करते हुए डिप्रेशिएशन शब्द अवश्य सुना होगा मगर क्या आपको मालूम है कि डिप्रेशिएशन शब्द का अर्थ क्या होता है और डिप्रेशिएशन क्या होता है और डिप्रेशिएशन कैसे निकाला जाता है,

 अगर आप को यह नहीं मालूम है तो आप हमारे इस लेख के साथ अंत तक बने रहे। इस लेख में हमने इसी पर विचार विमर्श किया है तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को बिना देरी किए हुए।

Depreciation meaning in hindi | डेप्रिसिएशन मीनिंग इन हिंदी

Depreciation का meaning हिंदी में ” मूल्यह्रास ” moolyahraas होता है। हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि किसी भी सम्पति के Actual value में किसी कारण वश धीरे – धीरे होने वाली कमी या उसकी धीरे धीरे गिरने वाली value को  (Depreciation ) मूल्यह्रास कहते है।

अगर हम इसे सामान्य शब्दों में कहे तो यह किसी व्यवसाय में प्रयोग होने वाली किसी सम्पति की Value में धीरे – धीरे होने वाली कमी को  ही मूल्यह्रास कहते है, और यही depreciation meaning in hindi होता है।

what is depreciation – (मूल्यह्रास क्या होता है)

हमने ऊपर में जाना कि Depreciation को हिन्दी में मूल्यह्रास कहते हैं। Depreciation या मूल्यह्रास किसी भी assets की value में होने वाली कमि या उसके गिरावट को कहते हैं। ये कमि या गिरावट क्यों होती है, बेवसाए में इसके अनेक कारण होते हैं।

आपको मालूम होगा कि समय के साथ जब कोई assets पुरानी हो जाती है, या फिर टूट – फूट जाते हैं या फिर out of fashion हो जाती है या फिर पुराने हो जाते है और कोई नई technology के आ जाने से  उस पर प्रभाव पड़ जाता है, इत्यादि।

इन सारी कारणों से assets की value में कमि आती है या कहे तो गिरावट आती है । मान लीजिए कि अगर कोई नई assets हम अपने बेवसाए के लिए खरीदते है और उसका हमारे बेवसाये में कोई काम नही है वह सिर्फ रखी हुई है।

business में उसे use नहीं किया जा रहा है फिर भी उसमे कोई न कोई कमि आएगी क्योंकि मशीनों की technology और उसके काम करने का अंदाज, और इत्यादि हमेशा बदलती रहती है। इसका मतलब यह है कि किसी भी नई assets की value ज़्यादा होती है और पुरानी होने से उसकी value कम हो जाती है।

इसी सिस्टम को हम depreciation कहते है और यह business में काफी अहम रोल निभाता है इसको ले कर के सरकार के कई नियम भी है हम आगे के टॉपिक में उनके बारे में भी जानेंगे।

Depreciation के कारण ?

हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि  Depreciation charge करने के कई सारे कारण होते हैं और उन सभी कारणों को हमने नीचे में स्टेप बाय स्टेप करके लिखा है तो आप उन्हें ध्यान से पढ़े और समझे।

  1. क्या आपको मालूम है की जब हम fixed assets का उपयोग करते है तो उसमे घिसावट आ जाता है या कुच जगह उसका टूट  जाता है या वह assets पुराना हो जाना जिसकी कारण भी से depreciation चार्ज किया जाता है।
  2. कुछ टाइम बीतने की वजह  से भी किसी चीज़ पे depreciation charge किया जाता है।  
  3.  (पुराना पड़ जाना) यानी कि Obsolescence जब हो जाता है और मार्केट मे जब new technology जाती है तो हमारे पास पड़ा हुआ fixed assets वो बेकार हो जाता है इसके लिए भी depreciation charge किया जाता है। 
  4. आप ने अक्सर देखा होगा कि कई बार accidentally मशीन खाराब हो जाता है या उस मे तकनीकी खराबी आने के वजह से टूट जाता है। इसकी कारण से हम उस चीज़ पे  depreciation चार्ज करते है और fixed assets की value को उसके actual value से कम करते है।
  5. क्या आप जानते है कि new technology आने के बाद कभी कभी ऐसा होता है की fixed assets की value मे permanently गिरावट देखने को मिलता है क्योंकि जब मार्केट में उस से अच्छा technology वाला चीज़ आता है तो लोग पुराना चीज़ों का इस्तेमाल कम कर देते है।
  6. उदाहरण के तौर पर मान लेते है आपने कोई मशीन अपने बेवसाये के लिए 2 साल पहले 20 लाख रुपये  मे ख़रीदा था लेकिन अभी फिलहाल के समय मे उस मशीन का प्राइस सिर्फ 10 लाख रुपये ही है, तो ये मार्केट price मे fall यानी कि गिरावट की कारण से होता है।

Depreciation कैसे निकले – (मूल्यह्रास कैसे निकालते हैं?)

हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि Income TAX Act में Depreciation को calculate करने के लगभग 2 तरीके बताये गए है और दोनों method को हमने नीचे में step बाई step कर के लिखा है।

  1. straight line method (Power generation और distribution करने वाली undertaikings के लिए)
  2.  written down value method (दोस्तों यह method लगभग सभी प्रकार के business के लिए applicable होता है)।

सरल भाषा मे कहे तो लगभग सभी प्रकार के business को सिर्फ written down value(WDV) method के हिसाब से ही depreciation की छूट दी जाती हौ।

Depreciation कैसे निकले – (Depreciation meaning in hindi)

  • 1. straight line method से Depreciation निकालने का तरीका (SLM)

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपने अपने business के लिए एक मशीन खरीदा जिसका current value आपको 2 लाख रुपये तक का पड़ा।

अब अगर उस मशीन पर depreciation 15% है straight line method से तो 15% इसका निकालेंगे तो 30000 होगा । तो फिर 1 साल बाद उस मशीन की value होगी (200000 – 30000) = 170000 ।

तो अगले शाल जब आप depreciation उस मशीन पर लगाएंगे तो बिना किसी calculation के जो उस मशीन का original cost रहेगा उस पे जब हम ने जितना depreciation लगाया था ये same depreciation शालो शाल चलता रहेगा।

और जब  उस मशीन को लिए 10 साल बीत जाएंगे तब उस मशीन की value, current value से   जीरो हो जाएगी। तो कुछ इस प्रकार से straight line method का concept होता है और इसी तरह से depreciation निकाला जाता है।

  • 2. written down value method से Depreciation निकालने का तरीका (WDV)

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए अपने business के लिए एक मशीन ख़रीदा और उसका भी cost value आपको 10 लाख रुपये पड़ा और उसका   depreciation चार्ज 10% है तो इसका value अब होता है (1000000 -10000) = 900000।

तो next year जब हम उस मशीन पर depreciation लगाएंगे तो वो लागेगा 900000 पे। 900000 पार 10% लगेगा यानी कि  (900000-90000) = 810000 होगा और जब फिर अगले साल उस depreciation चार्ज लगेगा तो  810000 पार 10% होगा यानी कि  (810000-81000) = 729000 फिर जो बैलेंस बचेगा उस पर 10 depreciation लगेगा।

तो wdv का मतलब होता है जो हार साल depreciation चार्ज करके बैलेंस बाचता जायेगा उस पार depreciation लागता रहेगा। एक तरह से कह सकते है इस इस पे recurring depreciation charge लगता है।

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