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VRS क्या होता है? VRS का फुल फॉर्म, वीआरएस के नियम

VRS क्या होता है? VRS का फुल फॉर्म, वीआरएस के नियम

VRS क्या होता है? VRS का फुल फॉर्म, वीआरएस के नियम

VRS Kya Hota Hai – वीआरएस कर्मचारियों की सेवानिवृति से सम्बंधित स्कीम है, इस स्कीम के अंतर्गत कम्पनियों या कर्मचारियों द्वारा सेवानिवृति (Retirement) की तय तारीख से पहले सेवानिवृति की पेशकश की जाती है.

VRS कर्मचारियों से जुड़ी एक टर्म होती है जो कि सरकारी और गैर सरकारी दोनों ही तरह की नौकरियों में लागू होती है। कोई भी कर्मचारी चाहे वह सरकारी नौकरी से जुड़ा हो या गैर सरकारी कंपनी से अपनी इच्छा अनुसार वीआरएस ले सकता है, या कंपनियां कुछ विशेष परिश्थितियों में अपने कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृति की पेशकश कर सकती हैं.

VRS क्या होता है? इसका फुल फॉर्म क्या है? VRS Scheme in Hindi

VRS का फुल फॉर्म Voluntary Retirement Scheme होता है, जिसे हिंदी में “स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना” कहा जाता है। वीआरएस का अर्थ है किसी सरकारी या गैर सरकारी संस्था द्वारा अपने किसी कर्मचारी को उसके पद से हटाना या कहें रिटायर कर करने की योजना.

अपने किसी पुराने कर्मचारी को तय समय से पहले काम से निकाल देने या रिटायरमेंट की योजना वीआरएस कहलाती है। VRS Scheme केवल उन्ही कर्मचारियों पर लागू होती है जिनकी सेवा अवधि कम से कम 10 साल पूरी हो चुकी है या जिन एम्प्लाइज की उम्र 40 से ज्यादा है. नवीनतम कर्मचारियों पर स्वैच्छिक सेवानिवृति स्कीम लागू नहीं होती है. VRS के अंतर्गत की गयी छटनी या रिटायरमेंट वाली पोजीशन को पूरी तरीके से ख़त्म किया जाता है और उस पद पर किसी अन्य की भर्ती नहीं की जा सकती है.

यह नियम भारत सरकार द्वारा भारतीय विधि अधिनियम में औद्योगिक विवाद अधिनियम सन 1947 छटनी के अंतर्गत आता है। इस अधिनियम के तहत कोई कंपनी किसी कर्मचारी को उसके पद से रिटायर करने की पेशकश कर सकती है या कर्मचारियों की संख्या को कम करने के लिए छटनी कर सकती है।

औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के अनुसार भारतीय श्रम कानूनों के अंतर्गत सीधी छटनी की अनुमति नहीं है, सीधी छटनी के कारण ट्रेड यूनियन द्वारा किये जाने वाले विरोध से बचने के लिए कम्पनीज के लिए VRS के रूप में सामूहिक रिटायरमेंट के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गयी है. यह पूरी तरह से स्वैच्छिक है और कोई भी सरकारी या गैर सरकारी संस्था कर्मचारियों को VRS के लिए मजबूर नहीं कर सकती है.

VRS के नियम और कानून क्या है? VRS Rules in Hindi

सरकार के द्वारा वीआरएस के कई नियम और कानून बनाए गए हैं जिनके अंतर्गत इसे लागू किया जाता है। इन नियमों के अंदर रहकर ही कोई सरकारी संस्था या कंपनी अपने कर्मचारी को वीआरएस की पेशकश कर सकती है। यह नियम इस प्रकार हैं –

  • वीआरएस का नियम सिर्फ उन्हीं कर्मचारियों पर लागू होता है जो सरकारी या गैर सरकारी संस्था से जुड़े हैं। कंपनी या संस्थाओं के निदेशक इस स्कीम के अंतर्गत नहीं आते हैं.
  • VRS Scheme कम्पनियों द्वारा विशेष परिस्थितियों में ही लागू की जा सकती है जैसे ओवरहेड लागत को कम करने, बिक्री में गिरावट की भरपाई करने, कंपनी की आर्थिक स्थिति खराब होना, इत्यादि.
  • कर्मचारी कम से कम 10 साल तक किसी सरकारी या गैर सरकारी संस्था में कार्यरत रहे हो।
  • कर्मचारी की आयु 40 वर्ष से अधिक होना चाहिए।
  • वीआरएस स्थायी कर्मचारी, कार्यभारित कर्मचारी, अस्थायी कर्मचारी तथा बदली कर्मचारी पर ही लागू होगा।
  • यह नियम आकस्मिक कर्मचारियों पर लागू नहीं होगा।
  • यदि कोई सरकारी कर्मचारी अपनी इच्छा से सेवानिवृत्ति लेना चाहता है तो उसे नियुक्ति प्राधिकारी को प्रत्यक्ष रूप से 3 महीने पहले इसका नोटिस देना होगा।
  • सेवानिवृत्तिओं से होने वाली रिक्तियों में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
  • वीआरएस के लिए दिए गए नोटिस नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा तीन महीनों की अवधि के अंदर नोटिस की अवधि प्राप्त होने की तिथि से गणना की जाएगी।
  • इस सूचना को देने से पहले एक कर्मचारी को नियुक्ति प्राधिकारी को पूर्ण रूप से संतुष्ट करना होगा कि वे अपने क्वालीफाइंग सर्विस को पूरा कर चुके हैं जब नियोक्ता पूर्ण रूप से संतुष्ट हो जाएंगे तब वह कर्मचारी का वीआरएस ले सकते हैं।
  • वीआरएस प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए और कर्मचारी को अंतिम निर्णय का अधिकार मिलना चाहिए.

इन नियमों के आधार पर ही किसी भी सरकारी या गैर सरकारी कर्मचारी पर वीआरएस लागू किया जाता है।

VRS किन परिस्थितियों में लिया जाता है?

वीआरएस कर्मचारियों द्वारा उनकी इच्छा से भी लिया जा सकता है या कोई भी ऐसी परिस्थिति बनती है जब कंपनी कर्मचारियों को वहां करने में असमर्थ हो जाती है तब ही VRS स्कीम को लागू किया जा सकता है.

कुछ परिस्थितियां यहां बताई जा रही हैं जिनमें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना का विकल्प चुना जा सकता है-

  • व्यापार में मंदी आने या घाटे में जाने पर इसे लागू किया जा सकता है।
  • व्यापार में बढ़ते कंपटीशन के कारण जब स्थिति खराब हो जाती है और सुधर नहीं पाती है तब वीआरएस दिया जा सकता है। जब तक की स्थिति में सुधार ना आ जाए।
  • व्यापार में पुराने तरीकों का इस्तेमाल करने के कारण।
  • विदेशी सहयोगी कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यमों के कारण।
  • व्यापार के घाटे में जाने की वजह से ज्यादा कर्मचारियों का वेतन देने में असमर्थता के कारण।
  • कर्मचारी द्वारा खुद का व्यवसाय करने या अन्य किसी कार्य के लिए स्वयं रिटायरमेंट का आवेदन करने की स्थिति में.

VRS के फायदे और नुकसान क्या है?

कर्मचारियों के लिए वीआरएस लेने के फायदे और नुकसान दोनों ही हो सकते हैं। आइए जानते हैं वह कौन से नुकसान और फायदे हैं जो वीआरएस लेने पर कर्मचारियों को मिलते हैं –

VRS के फायदे –

  • यह कर्मचारियों को राहत देने का एक सहानुभूतिपूर्ण तरीका है क्योंकि कंपनियां अपनी आर्थिक दक्षता में सुधार के लिए कर्मचारियों की संख्या को प्रभावी ढंग से कम करती हैं।
  • कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय कंपनी की नीति के अनुसार उनकी अर्जित देय राशि, भविष्य निधि (पीएफ) और ग्रेच्युटी बकाया मिलती हैं।
  • वीआरएस के तहत भुगतान किया गया मुआवजा आयकर अधिनियम की धारा 10 (10सी) के तहत 5 लाख रुपये तक आयकर मुक्त है। आपको उसी निर्धारण वर्ष में इसका दावा करना चाहिए, जिस वर्ष मुआवजा प्राप्त किया गया था।
  • वीआरएस के तहत दिए जाने वाले मुआवजे की गणना कर्मचारी के अंतिम वेतन के आधार पर की जाती है। सेवा के प्रत्येक पूर्ण वर्ष के लिए तीन महीने के वेतन के बराबर राशि का भुगतान किया जा सकता है। कुछ कम्पनीज कुछ अन्य वैकल्पिक तरीके भी अपनाती हैं. यदि हम सरकारी बैंक एसबीआई को उदाहरण मान के चलते हैं तो वीआरएस लेने पर नौकरी की शेष अवधि के लिए वेतन के 50 फ़ीसदी के बराबर वीआरएस दिया जाता है।

VRS के नुकसान –

  • अपनी इच्छा अनुसार वीआरएस लेने से कर्मचारी कई तरह के भत्तो से वंचित हो जाते हैं।
  • वेतन के नियमों के अनुसार इनकम टैक्स की भरपाई करनी होगी।
  • यदि कोई लोन लिया है तो वह कर्मचारी को पहले ही भरना होगा।
  • यदि स्कीम लेने वाले लोग सेटलमेंट में दी जा रही रकम को किसी भी तरह से चुनौती देना चाहते हैं तो वह ऐसा नहीं कर पाएंगे उनके उत्तराधिकारी भी कानूनी तौर पर चुनौती नहीं दे सकते।

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