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नरेंद्र मोदी का पूरा नाम क्या है | Narendra Modi Ka Pura Naam Kya Hai

नरेंद्र मोदी का पूरा नाम क्या है | Narendra Modi Ka Pura Naam Kya Hai

नरेंद्र मोदी का पूरा नाम क्या है | Narendra Modi Ka Pura Naam Kya Hai

Narendra Modi Ka Pura Naam Kya Hai :- नरेंद्र मोदी भारत देश के सबसे सफल राजनीतिज्ञों में से एक हैं, साथ ही देश के सबसे लोकप्रिय नेता भी हैं।

नरेंद्र मोदी का राजीनीतिक कद वैश्विक पटल पर भी बहुत बड़ा है, उन्हें विश्व के कुछ प्रमुख चुनिंदा राजनेताओं में से एक माना जाता है, जिन्होंने अपने देश के समग्र विकाश के लिए बहुत महत्वपूर्ण और कड़े फैसले लिए हों।

तो क्या आपको Narendra Modi Ka Pura Naam पता है ?

इस आर्टिकल में हम नरेंद्र मोदी से संबंधित बहुत रोचक बातें जानेंगे और  उनके निजी जीवन से लेकर उनके शुरुआती राजनीतिक सफर को भी बहुत विस्तार से देखेंगे। साथ ही Narendra Modi Ka Pura Naam क्या है उसे भी जानने का प्रयास करेंगे।

Narendra Modi Ka Pura Naam क्या है ?

नरेंद्र मोदी भारत जैसे इतने बड़े देश के 15 वें व वर्तमान प्रधानमंत्री हैं। उनका पूरा नाम नरेंद्र दामोदरदास मोदी है, जिसमें दामोदरदास उनके पिता जी का नाम है।

गुजरात में पिता के नाम को नाम के पीछे लगाया जाता है, जैसे नरेंद्र मोदी जी के पिता का पूरा नाम दामोदरदास मूलचंददास मोदी है।

इस नाम में मूलचंददास दामोदर के पिता हैं, तो यह जो प्रथा है, नाम के पीछे अपने पिता के नाम को लिखने की यह पहले से ही चली आ रही है – मोदी परिवार में। नरेंद्र दामोदरदास मोदी 2014 से वर्तमान समय तक भारत के प्रधानमंत्री हैं और साथ ही वाराणसी से लोकसभा सांसद भी हैं।

निजी जीवन

नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितम्बर 1950 को  गुजरात के महेसाणा जिला के वडनगर ग्राम में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ इनकी माता का नाम हीराबेन और पिता दामोदरदास मूलचंद मोदी है।

नरेंद्र मोदी छः भाई-बहन हैं, जिसमें वे तीसरे बड़े पुत्र हैं। नरेंद्र मोदी की स्कूली शिक्षा वडनगर ग्राम में ही हुई। उनके पिताजी हालांकि शिक्षक थे, किंतु छः भाई बहन होने के कारण एक बड़े से परिवार का भरण पोषण कर पाना उनके पिता के लिए मुश्किल हो गया था, इसलिए नरेंद्र मोदी अपने बड़े भाई के साथ छोटी सी चाय स्टाल किशोरावस्था में चलाते थे।

इसी समय संघ के कार्यकर्ताओं से इनका सम्पर्क हुआ वे शाखा के बाद इनके चाय स्टाल में रुक कर चाय पीते और 8 साल के नरेंद्र मोदी से बाते करते।

वे कभी-कभी सुबह आरएसएस की शाखा भी चले जाया करते थे। नरेंद्र मोदी अपने स्कूल में औसत दर्जे के छात्र थे, लेकिन उनकी रुचि वाद-विवाद, नाटक व भाषण प्रतियोगिताओं में खूब थी वे ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेते थे।

13 वर्ष की आयु में नरेंद्र मोदी की सगाई चमनलाल की पुत्री जशोदा बेन से कर दी गयी और 17 वर्ष की उम्र में नरेंद्र मोदी की शादी भी कर दी गयी।

फाइनेंशियल एक्सप्रेस न्यूज़ की खबर के अनुसार नरेंद्र मोदी और जशोदा बेन ने कुछ वर्ष साथ में बिताए फिर आपसी सहमति से दोनों एक-दूसरे से अलग हो गए।

लेकिन नरेंद्र मोदी के जीवनी के लेखक ऐसा नही मानते उनके अनुसार नरेंद्र मोदी और जशोदा बेन कभी साथ नही रहे और शादी के कुछ समय बाद ही नरेंद्र मोदी ने घर त्याग दिया। और इस प्रकार उनका वैवाहिक जीवन लगभग खत्म हो गया।

प्रारंभिक राजनीतिक जीवन

ऊपर हमने Narendra Modi Ka Pura Naam Kya Hai के बारे में जाना, अब हम नरेंद्र मोदी के प्रारंभिक राजनीतिक जीवन बारे में जानते है।

वे बचपन से ही आरएसएस से जुड़े हुए थे और जब बड़े हुए तब उन्होंने स्नातक के बाद अपना घर छोड़ दिया और भारत के लगभग सभी महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया, जब वे वापस 1970 में घर आये तब वे कुछ दिन घर में अपनी माँ के साथ रहे और अहमदाबाद चले गए, जहाँ आरएसएस के सामाजिक कार्यों में अपना हाथ बटाने लगे।

सन 1971 में वे आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक बन गए और वहां रहकर वे बहुत से भिन्न-भिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। 1975 में आपात काल के दौरान उन्होंने संघ कार्यकर्ताओं के मनोबल को गिरने नही दिया और वे छिप कर संगठन के कार्यों में लगे रहे और गुजरात में संगठन को मजबूत करने के लिए अपना पूरा समय देने लगे, क्योंकि यह वही समय था, जब आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और इसके कार्यकर्ताओं को जेल भेजा जा रहा था।

1985 में भारतीय जनता पार्टी में काम करने के लिए आरएसएस के प्रांतयोजना बैठक में नरेंद्र मोदी को भारतीय जनता पार्टी में संगठन मंत्री बना दिया गया। बीजेपी को मजबूत करने के लिए उन्होंने खूब मेहनत की और गुजरात के अंदर एक बड़े कट्टर राष्ट्रवादी के रुप में बड़ा चेहरा बनकर उभरे।

1985 से 2001 तक उन्होंने पार्टी के विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया और वे बीजेपी में संगठन सचिव भी बन गए।

2001 :-

गुजरात के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को केशुभाई पटेल की खराब स्वास्थ्य के कारण कई सीटें गँवानी पड़ी।

बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने केशुभाई पटेल की जगह नरेंद्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में चुन लिया। 2002 में राजकोट उप चुनाव जीतकर उन्होंने अपनी दावेदारी और मजबूत की।

2002 :-

2002 में हुए गुजरात दंगों ने मोदी की विकासवाद वाली छवि को बहुत नुकसान पहुंचाया, ऐसा राजनीति शास्त्र के विद्वानों में कहना था, लेकिन इसके उलट चुनाव परिणाम मोदी के पक्ष में ही रहे, तब उन्हें हिन्दूओं के नेता के रूप में ध्रुवीकरण की राजनीति करने वाले नेता के रुप में देखा जाने लगा।

चूंकि दंगे में ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोग ही मारे गए और तीन दिन तक चले इस नर संहार को रोकने की कोशिश गुजरात पुलिस ने नही की, ऐसा नरेंद्र मोदी के विरोधी कहते हैं। किंतु इसके उलट गुजरात के मुसलमान नरेंद्र मोदी को बिना पक्षपात किये सभी का साथ देने की बात स्वीकारते हैं।

2007 :- 

नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनावों में जीत की हैट्रिक पूरी की और इस बार वे मणिनगर विधानसभा सीट से जीत कर गुजरात के मुख्यमंत्री के रुप में तीसरी बार शपथ लिया।

2012 :-

मणिनगर विधानसभा सीट से उन्होंने भट्ट स्वेता संजीव को बड़े अंतर से हराया और चौथी बार गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिए। लेकिन बाद में उन्होंने लोकसभा चुनाव के कारण 2014 में गुजरात विधानसभा से इस्तीफ़ा दे दिया।

2014 :-

नरेंद्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने जिनका जन्म भारत की आज़ादी के बाद हुआ हो। और वे भारत के 15वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लिए उनको इस चुनाव में भारतीय जनता ने बहुत बड़ा जनादेश दिया और पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई।

नरेंद्र मोदी के विचार

नरेंद्र मोदी आतंकवाद के खिलाफ No Tolerance की नीति अपनाते हैं, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे – तब उन्होंने तात्कालिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कड़े शब्दों में कहा था, कि राज्य को आतंकवाद पर कानून बनाने के लिए केंद्र को सशक्त कदम उठाने चाहिए।

मोदी के शब्दों में :-

आतंकवाद युद्ध से भी बदतर है। एक आतंकवादी के कोई नियम नही होते। एक आतंकवादी तय करता है कि कब, किसे, और कहां मरना है। भारत ने युद्धों की तुलना में आतंकी हमलों में अधिक लोग खोये हैं।

मुस्लिमों के बीच में मोदी जी इतने लोकप्रिय नही है, लेकिन मोदी मुस्लिमों के समग्र विकाश में रुचि रखते हैं। उनका कहना है कि – ” मुसलमानों के एक हाथ में कम्प्यूटर और एक हाथ में कुरान होना चाहिए।  ”

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