Mahatma Gandhi Ka Janm Kahan Hua Tha :- महात्मा गांधी देश के ऐसे महापुरुष हैं, जिन्होंने देश को आज़ादी दिलाने के लिए अहिंसा का मार्ग अपनाया।
वे अहिंसक लेकिन सफल आंदोलनों के प्रणेता माने जाते हैं। वैसे तो हमारे देश के सभी नागरिकों के लिए Mahatma Gandhi Ka Janm Kahan Hua Tha इसको जानना आवश्यक है, क्योंकि यह भारतीय संस्कृति की धर्मस्थली के समान है।
आज के इस लेख में हम महात्मा गांधी के जीवन आदर्शों और उनके द्वारा किये गए कार्यों को विस्तार से देखेंगे, साथ ही Mahatma Gandhi Ka Janm Kahan Hua Tha उनके बचपन का क्या नाम था। उनके माता-पिता कौन थे ? और कौन-कौन सी प्रमुख क्रांतिकारी गतिविधिया रही और उनके विचारों को भी जानने का प्रयास करेंगे।
Mahatma Gandhi Ka Janm Kahan Hua
महात्मा गांधी का जन्म गुजरात प्रांत के पोरबन्दर नामक शहर में हुआ था, इनके बचपन का नाम मोहन था और इनका पूरा नाम मोहन दास करमचन्द गांधी था।
महात्मा गांधी का जहाँ जन्म हुआ वह पूरे विश्व के लिए किसी धर्मस्थली से कम नही है। जिस घर में गांधी जी का जन्म हुआ था उसे राष्ट्रीय स्मारक बना दिया गया है, जिसे कीर्ति मंदिर भी कहते हैं।
इस तीन मंजिला जन्मस्थली में गांधी जी द्वारा उपयोग में लाये जाने वाले समानों की प्रदर्शनी और एक विशाल पुस्तकालय भी है। गांधी जी जी से संबंधित दुर्लभ छायाचित्र भी इस घर में सजे हुए हैं जिसे देखने वर्ष भर लोग आते हैं।
महात्मा गाँधी का प्रारम्भिक जीवन
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को ब्रिटिशराज के दीवान करमचंद गांधी के यहां हुआ था, उनकी माता का नाम पुतली बाई था। गांधी जी के पिता पंसारी जाति व माता परनामी वैश्य समुदाय की थी।
गांधी जी के बचपन में उनकी माता का उनपर गहरा प्रभाव रहा,, उनकी माता बहुत धार्मिक, शुद्ध एवं सात्विक भोजन करने वाली महिला थी, उन्होंने गांधी जी को बचपन से सत्य के मार्ग पर चलने और ग़रीबों से अच्छे व्यवहार रखने व अपने धर्म के प्रति आस्थावान रहने साथ ही आजीवन शाकाहारी रहने की प्रेरणा देती रहती थी।
गांधी जी की प्राथमिक शिक्षा पोरबंदर में हुई और हाई स्कूल की शिक्षा उन्होंने राजकोट से प्राप्त की। अपने छात्र जीवन में गांधी जी औसत विद्यार्थी ही थे, वे पढाई में बहुत तेज नही थे। कालेज की पढ़ाई गांधी जी ने श्यामलदास कालेज से पूर्ण की लेकिन उनका परिवार उनको बैरिस्टर बनते देखना चाहते थे।
अल्पायु में विवाह
महात्मा गांधी की शादी 13 वर्ष की उम्र में उनके माता-पिता ने गांधी से एक साल बड़ी कस्तूरबा से कर दिया तब कस्तूरबा 14 वर्ष की ही थी।
गांधी जी जब 15 वर्ष के थे तब उनके घर पहली संतान ने जन्म लिया, लेकिन वह ज्यादा दिनों तक जीवित नही रह पाए। इसके कुछ ही महीनों बाद उनके पिता करमचंद गांधी की मृत्यु भी हो गयी। वैसे तो गांधी जी के चार पुत्र हुए जिनके नाम हीरालाल, मणिलाल, रामदास और देवदास थे।
कस्तूरबा के साथ सम्बन्ध
कस्तूरबा गांधी को सभी लोग सम्मान से बा बुलाते थे, ज्यादा पढ़ी लिखी नही होने पर भी उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं का नेतृत्व किया।
कस्तूरबा गांधी ने आजीवन धर्म का पालन किया और हर परिस्थिति में गांधी जी के साथ खड़ी रहीं, कई बार तो उन्होंने गांधी जी को धर्म और नीतिगत बातों को समझा दिया करती थी।
महात्मा गांधी ने अपनी पुस्तक गांधी वांग्मय में कहा है, कि – ” जो लोग मेरे और बा के निकट संपर्क में आए हैं, उनमें अधिक संख्या तो ऐसे लोगों की है, जो मेरी अपेक्षा बा पर कई गुना अधिक श्रद्धा रखते हैं।
गांधी जी के जीवन चरित्र को पढ़ने से पता चलता है, कि गांधी जी और कस्तूरबा गांधी में प्रेम और आपसी समझ जीवन के अंतिम समय तक रहा। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, जिन्होंने अपने दाम्पत्य जीवन को समाज या देश से अलग नही रखा और जीवन भर दोनों देश की सेवा में लगे रहे।
वकालत की पढ़ाई और गांधी जी
गांधी जी ने अपनी बैरिस्टर की पढ़ाई लन्दन में रहकर की जब वे 19 वर्ष के थे, तब वे इंग्लैंड चले गए जाने से पहले गांधी जी की मां ने उनको मांस, मदिरा और अन्य व्यभिचारों से दूर रहने की कसम दिलाई जिनका अक्षरशः पालन गांधी जी ने इंग्लैण्ड में रहते हुए किया।
उन्होंने शाकाहारी रहने के लिए शाकाहारी समाज की सदस्यता इंग्लैण्ड में ली और कभी भी मांसाहारी की ओर नही गए।
गांधी जी ने थियोसोफिकल सोसायटी के कुछ सदस्यों के कहने पर श्रीमद्भागवत पढ़ना शुरू किया और उनका स्वाभाविक झुकाव हिन्दू दर्शन की ओर गया उन्होंने दूसरे धर्मों का हमेशा सम्मान किया लेकिन कभी भी दूसरे धर्म की ओर आकर्षित नही हुए और ना ही अन्य धर्म ग्रन्थों को पढ़ने में कोई रुचि दिखाई।
गांधी जी वकालत की अपनी पढ़ाई पूरी कर देश लौटे और बम्बई में अपनी वकालत शुरू की, लेकिन उनको सफलता नही मिली। गांधी जी एक फर्म के साथ एक साल के करार पर 1893 में अफ्रीका चले गए जहाँ उन्होंने Law की प्रैक्टिस उस फर्म के लिए की।
भारत की आज़ादी में उनकी भूमिका
भारत देश में अंग्रेजी शासन को जड़ से उखाड़ फेंकने और और देश की आज़ादी के लिए गांधी जी ने अनेक आंदोलन किये।
स्वतंत्रता आंदोलन के संघर्षों में 1920 के बाद को गांधी युग कहा जाता है। उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश में बहुत बड़े-बड़े सवतंतता आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसके कारण अंग्रेजी सत्ता की नींव हिल गयी।
यहां हम गांधी जी के कुछ प्रमुख आंदोलनों को देखेंगे जो बहुत प्रभावशाली रहे देश में राष्ट्रीयता के भाव को जगाने के लिए।
- 9 जनवरी 1915 को गांधी जी अफ्रीका से भारत आये इसी दिन को प्रवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में राजकुमार शुक्ल की गांधी जी से मुलाकात हुई और यहीं चम्पारण आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार हुई।
- गांधी जी ने 1917 में बिहार के चंपारण से अपने पहले आंदोलन की शुरुआत की।
- 1918 में गांधी जी अहमदाबाद और खेड़ा में मिल मज़दूरों के पक्ष में आंदोलन किये जिसमें मिल मज़दूरों की जीत हुई।
- 1919 में गांधी जी ने रौलेट सत्याग्रह की शुरुआत की जिसमें Prevention detention act के खिलाफ बड़ा आंदोलन हुआ।
- 1920 में असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई लेकिन 1922 में उत्तरप्रदेश के चौरा-चौरी में पुलिस वालों को जला दिया गया और इससे क्षुब्ध होकर गांधी जी ने बारदोली प्रस्ताव द्वारा असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया।
- 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत नमक कानून तोड़कर दांडी मार्च से की।
- 5 मार्च 1931 को गांधी इरविन पैक्ट हुआ।
- अगस्त 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत गांधी जी ने की इसे अगस्त क्रांति भी कहते हैं गांधी जी ने करो या मरो का नारा दिया।
गांधी जी द्वारा संपादित पत्रिकाएँ
- हरिजन साप्ताहिक पत्रिका
- दीनबन्धु व हरिजन सेवक पत्रिका
- Indian Opinion गांधी जी द्वारा प्रकाशित विदेश में पत्रिका
- Young India
गांधी जी की हत्या
30 जनवरी 1948 को बिरला हाउस में आयोजित प्रार्थना सभा में नाथूराम गोडसे ने गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी, इस दिन को शहीद दिवस या सर्वोदय दिवस के रूप में प्रत्येक साल मनाया जाता है।
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