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इतिहास के जनक कौन है ? | Itihas Ke Janak Kaun Hai

इतिहास के जनक कौन है ? | Itihas Ke Janak Kaun Hai

Itihas Ke Janak Kaun Hai :- आज हम इस लेख में आपको History के जनक के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे तथा हम भारत के इतिहास के जनक के भी बारे में आपको जानकारी देंगे।

यह लेख आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगा, क्योंकि हम इस लेख में इतिहास से जुड़ी हुई घटनाओं के बारे में भी वर्णन करेंगे।

यदि आप History के बारे में कुछ नहीं जानते हैं, तो यह लेख आपके लिए अत्यंत लाभकारी है। इतिहास बीते हुए वक्त को दर्शाता है, जो इतिहास के जानकार होते हैं, उन्हें इतिहासकार कहते हैं।

भूतकाल की घटनाओं को एक रूप में लोगों के सामने प्रस्तुत करना, इतिहास का साहित्य कहलाता है। क्या आप जानते हैं, Itihas Ke Janak Kaun Hai ( इतिहास का जनक कौन है ? )  यदि नहीं तो इस लेख को आप शुरू से लेकर आखिरी तक पढ़े।

इतिहास के जनक कौन है ? | Itihas Ke Janak Kaun Hai 

इतिहास की खोज बहुत पुरानी है, लेकिन लिखित दस्तावेजों के अनुसार विश्व इतिहास की खोज हिरोडोटस ने की है। हिरोडोटस को इतिहास का जनक ( Father of History ) कहा जाता है।

इन्होंने ही हिस्ट्री शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया था। इन्होंने इतिहास को क्रमबद्ध तथा पढ़ने योग्य दस्तावेज़ लोगों के सामने प्रस्तुत किया था।

इन्होंने अपनी किताब ” हिस्टोरीका ” में इस बात का वर्णन किया है, कि इतिहास एक महत्वपूर्ण विषय है। जिससे हम किसी भी समय के बारे में जान सकते हैं। यह विश्व के पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने इतिहास को समझने तथा परखने की कोशिश की थी।

इतिहास बड़ा विषय ,है इसके लिए आपको इतिहास से जुड़ी चीजों को समझने तथा जानने का अवसर प्राप्त होता है किसी भी विषय का या चीज का पुराना इतिहास होता है।

जो हमें किसी भी पीढ़ी या वक्त में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने का कार्य करता है। इस जानकारी को खोज निकालना या बीते हुए समय के बारे में जानकारी प्राप्त करना बड़ा ही अच्छा लगता है तथा जो यह कार्य करता है, उसे इतिहासकार कहते हैं।

भारतीय इतिहास के जनक कौन थे ?

Bhartiye Ithihas Ke Janak Kaun Hai :- जैसा कि हर देश के साहित्यकार, लेखक तथा वैज्ञानिक होते हैं। उसी तरह से भारत के भी इतिहास को जानने तथा समझने की कोशिश किसी ना किसी व्यक्ति ने तो की ही होगी। जो व्यक्ति किसी भी चीज के बारे में पूर्ण तह खोज या व्याख्या करता है तो उन्हें खोजकर्ता कहते हैं।

वैसे ही भारतीय इतिहास के जनक भारत के मशहूर गणितज्ञ, इतिहासकार और राजनीतिक विचारक दामोदर धर्मानंद कोसांबी है। इनका 31 जुलाई 1960 को गोवा में हुआ था। इन्हें बचपन में लोग बाबा के नाम से बुलाते थे।

यह भारतीय इतिहास के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने वैज्ञानिक रिसर्च करके इतिहास को पढ़ने तथा लिखने योग्य बनाया था।

इन्हीं की मदद से हमने भारतीय इतिहास के बारे में हर वह बारीकी जानी हैं, जिसे अन्य देश ने तोड़ मरोड़ के प्रस्तुत किया था।

दामोदर धर्मानंद कोसांबी एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने इतिहास के साथ-साथ गणित में भी अपनी रुचि दिखाई। इसके साथ उन्होंने अपने राजनीतिक विचारों के माध्यम से लोगों में जागरूकता की फैलाई है।

इतिहास की शुरुआत भारत में इन्हीं के वजह से हुई है और आज हम जो भी इतिहास पढ़ते हैं, इनका श्रेय भारत के मशहूर इतिहासकार श्री दामोदर धर्मानंद कोसांबी को जाता है।

हिरोडोटस का जीवन परिचय

हिरोडोटस को इतिहास का पिता या Father of History भी कहा जाता है। इनका जन्म पांचवी शताब्दी में हुआ था। इनका जन्म 433 इसा पूर्व एथेंस में दक्षिणी इटली में हुआ था।

यह एक महान यात्री थे, जिन्होंने पूरे विश्व का चक्कर लगाया और अपने अनुभव को अपनी किताब में लिखा। जब यह दुनिया का चक्कर लगा रहे थे, तब एक्साइल को पार करके फ्रांस के साम्राज्य में पहुंच गए।

वहां पर सुसा और बेबीलोन में रहने लगे थे। इसके बाद वह ग्रीस की मुख्य भूमि तथा उनके पड़ोसी तटों में चले गए, वहां से उन्होंने मिस्र की यात्रा आरंभ कर दी।

उन्होंने पृथ्वी के आकार के बारे में अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, कि यह एक गोलाकार विमान है, जो एक समुद्री की धारा से घिरा हुआ है।

इतिहास की शुरुआत कब हुई ?

वैसे तो इतिहास बहुत पुराना है, इसकी शुरुआत 65,000 साल पहले हुई थी। उस समय के मानव जिन्हें हम होमो सेपियंस कहते हैं।

वे अफ्रीका भारतीय उपमहाद्वीप में पहुंचे थे। जिससे उनका सबसे पुराना साक्ष मिलता है तथा आधुनिक मानव की जानकारी ,हमें 30,000 वर्ष पहले दक्षिणी एशिया में प्राप्त हुई है।

इतिहास कितने प्रकार के होते हैं ?

इतिहास निम्नलिखित प्रकार के होते हैं जो इस प्रकार है:-

  1. राजनीतिकइतिहास:-इसमें इतिहास के उस पहलू को ध्यान में रखा जाता है, जो राजनीति तथा देश के संवैधानिक पद से संबंधित जानकारियों को इकट्ठा किया जाता है, जिसे हम राजनीतिक इतिहास कहते हैं।

इसमें उन सभी राजनीतिज्ञ तथा नेताओं का वर्णन होता है। जिन्होंने अपने संघर्ष तथा बलिदान के माध्यम से लोगों की भलाई की है।

  1. सामाजिकइतिहास:-इतिहास में ऐसे तत्व तथा विचारों का वर्णन किया जाता है, जो समाज के लिए हितकारी होते हैं या फिर ऐसी कोई सभ्यता जिन्होंने, एक व्यवस्थित समाज स्थापित किया हो।

जिसके माध्यम से आज की पीढ़ी कुछ सीख पा रही है। जैसे हड़प्पा सभ्यता एक पुरानी सभ्यता है, परंतु इसके सामाजिक इतिहास की बात की जाए, तो इसमें लोग आपस में मिलजुल कर रहते थे तथा समाज का एक प्रमुख होता था।

जो लोगों की समस्याएं तथा विचारों को सुनता था, जिसे हम समाज का प्रमुख कहते थे। यह सारे लोग मिलकर एक व्यवस्थित समाज का स्थापना करते थे।

  1. सांस्कृतिकइतिहास:-इसमें ऐसी परंपराएं तथा विचार होते थे, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाते थे। जैसे मंदिर बनाने की कला जो बहुत ही पुरानी है। उसे सांस्कृतिक धरोहर कहेंगे, क्योंकि यह हमारी भारतीय संस्कृति से जुड़ी हुई है।
  2. धार्मिकइतिहास:- यदि हम महा-भारत कथा रामायण की बात करें, तो यह दोनों रचनाएँ हमारे धार्मिक इतिहास है।  इसके माध्यम से हमें भगवान राम तथा भगवान कृष्ण के बारे में पता चलता है। इसी से हम उनकी पूजा तथा अर्चना करते हैं।
  3. आर्थिकइतिहास:-बीते हुए समय में जो आर्थिक संकट या आर्थिक घटनाएँ हुई है। जिस वजह से बहुत से लोग प्रभावित हुए हैं अथवा ऐसी घटनाएँ जो पूंजीवादी को बढ़ावा देती है, इस प्रकार के व्यवस्था को आर्थिक इतिहास कहते हैं।

जैसे चाणक्य के द्वारा लिखी गई ” अर्थशास्त्र ” में आर्थिक इतिहास का वर्णन मिलता है। उन्होंने अपनी इस रचना ने विक्रमादित्य तथा चंद्रगुप्त मौर्य के समय में लोगों की आर्थिक स्थिति के बारे में वर्णन किया है, कि प्रति व्यक्ति को कितनी पूंजी प्राप्त होती है।

  1. संवैधानिकइतिहास:- जब  कोई देश लोकतांत्रिक प्रणाली को अपना लेता है, तो उसमें संवैधानिक चीजों को महत्व दिया जाता है।

जैसे भारत एक ऐसा देश है, जहां पर संवैधानिक विचारों तथा क़ानूनों को उच्च दर्जा प्राप्त है। संविधान में दिए गए अधिकारों के माध्यम से कोई भी व्यक्ति महत्वपूर्ण कार्य कर सकता है।

संवैधानिक संवैधानिक चीजों की उत्पत्ति के बारे में जानना, विश्लेषण करना तथा खोज करना यह संवैधानिक इतिहास कहलाता है।

इतिहास के कितने भाग हैं ?

इतिहास के कुल 3 भाग हैं :-

  1. प्राचीनकाल इतिहास
  2. मध्यकालीनइतिहास
  3. आधुनिकइतिहास

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