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एक कविता नौकरी पर | Ek Kavita Naukari Per, Poem on Employment in Hindi

एक कविता नौकरी पर | Ek Kavita Naukari Per, Poem on Employment in Hindi

एक कविता नौकरी पर | Ek Kavita Naukari Per, Poem on Employment in Hindi

Poem on Naukari

एक कवीता नौकरी पर

बड़ी हसीन होगी तू ऐ! नौकरी
सारे युवा आज तुझपे ही मरते हैं।
सुख चैन खोकर चटाई पर सोकर
सारी रात जगकर पन्ने पलटते हैं।📖
दिन मे तहरी और रात को मैगी
आधे पेट ही खाकर तेरा नाम जपते हैं🎂
सारे युवा आज तुझपे ही मरते हैं।

अंजान शहर में छोटा सस्ता रूम लेकर🏡

किचन,बेडरूम सब उसी में सहेज कर
चाहत में तेरी अपने माँ-बाप और 👪
दोस्ती से दूर रहते हैं ।👫👬

राशन की गठरी सिर पे उठाए
अपनी मायूसी और मजबूरियाँ खुद ही छुपाए
खचाखच भरी ट्रेन में बिना🚅🚃🚃
टिकट के रिसक लेके आज सफर करते हैं।🚂🚃🚃
सारे युवा आज तुझपे ही मरते हैं।

ईनटरनेट,अखबारों मे तुझको तलाशते📰📱
तेरे लिए पत्र पत्रिकाएँ पढ़ते-पढ़ते 💲
बत्तीस साल तक के जवान कुँवारे फिरते हैं।😔

तु कितनी हसीन है ऐ ! नौकरी 👈
सारे युवा आज तुझपे ही मरते हैं😡

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