Prem vatika pustak ke rachyita kaun hai :- दोस्तों अगर आपके मन में यह सवाल है कि आखिर प्रेम वाटिका पुस्तक के रचयिता कौन है। तो आप हमारे इस टॉपिक के साथ अंत तक बने रहिए क्योंकि इस टॉपिक में हमने इसी पर विचार विमर्श किया है,
और आपको इन्हीं सभी सवालों का जवाब देने की कोशिश की है। और हमने इस लेख में प्रेम वाटिका से जुड़ी हर एक सवाल कवर करने की कोशिश की है। अगर आप सच में प्रेम वाटिका से जुड़ी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं।
तो आप से मेरा यह अनुरोध है, कि आप मेरे इस लेख को ध्यान से पूरे अंत तक पढ़े तभी आपको मेरा यह लेख अच्छे से समझ में आएगा तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को को बिना देरी किए हुए।
Prem vatika pustak ke rachyita kaun hai
:- Prem vatika pustak ke rachyita Raskhan hai. (प्रेम वाटीका पुस्तक के रचयिता रसखान है।) |
Prem vatika pustak ke rachyita kaun hai | प्रेम वाटीका पुस्तक के रचयिता कौन है ?
प्रेम वाटीका पुस्तक के रचयिता रसखान है। प्रेम वाटिका’ भक्तिकालीन कवि रसखान द्वारा लिखी गई एक प्रसिद्ध कृति या कह सकते है कि पुस्तक है। इस पुस्तक की रचना संवत तकरीबन 1671 में की गई थी। दोस्तों रसखान की इस कृति में लगभग 53 दोहे मौजूद हैं।
हिन्दी साहित्य के वर्णनों में कृष्ण के भक्त तथा भक्तिकालीन महा कवियों में रसखान का महत्त्वपूर्ण स्थान है और वाकई मे रसखान को महान कवियों में से एक माना जाता है।
उन्हें पूर्ण रूप से ‘रस की खान (क़ान)’ कहा जाता है। इनके कविता और काव्य में भक्ति रस, श्रृंगार रस दोनों जबरदस्त प्रधानता से मिलते हैं।
‘प्रेम वाटिका’ पुस्तक में राधा-कृष्ण को प्रेमोद्यान का मालिन-माली मान कर प्रेम के गूढ़ तत्व का सूक्ष्म से रूप से इन्होंने निरूपण किया है।
प्रेम वाटीका क्या है ?
प्रेम वाटिका एक पुस्तक या कहे तो साहित्य है जिसमें प्रेम से संबंधित चीजों को स्टेप बाय स्टेप करके दर्शाया गया है। इसमें राधे कृष्ण के उदाहरण भी लिए गए हैं, प्रेम वाटिका के रचयिता कवि रसखान हैं।
प्रेम वाटिका’ में राधा-कृष्ण को प्रेमोद्यान का मालिन-माली मान कर प्रेम के गूढ़ तत्व का सूक्ष्म रूप से निरूपण किया गया है। इस कृति, या साहित्य में रसखान ने प्रेम का स्पष्ट और स्वच्छ रूप में चित्रण किया है।
प्रेम वाटिका’ में प्रेम की परिभाषा, प्रेम की पहचान, प्रेम का सम्पूर्ण प्रभाव, प्रेम के प्रति के साधन एवं प्रेम की पराकाष्ठा, प्रेम का असर,इत्यादि इस में सारी चीज़ें दिखाई पड़ती है।
कवि रसखान द्वारा प्रतिपादित प्रेम लौकिक प्रेम से काफी ज्यादा ऊँचा है। रसखान ने इस ‘प्रेम वाटिका’ पुस्तक में तकरीबन 53 दोहों जो कि प्रेम का स्वरूप प्रस्तुत करते है उन्हें लिखा है, वह पूर्णतया मौलिक है।
रसखान के इस काव्य या साहित्य में मुख्य आलंबन गोपियाँ, श्रीकृष्ण, एवं राधा हैं। हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि ‘प्रेम वाटिका’ में यद्यपि प्रेम सम्बन्धी अधिक दोहे हैं, किन्तु रसखान ने उसके मालिन राधा और माली कृष्ण ही को चरितार्थ किया है।
दोस्तों इस आलम्बन-निरूपण में रसखान पूर्णत: सफल हुए हैं। वे गोपियों (यानी कि कृष्ण जी जहा रहते थे वहा के लड़कियों) का वर्णन भी उसी तन्मयता के साथ करते हैं, जिस तन्मयता के साथ कृष्ण का। तो कुछ इसी प्रकार से “प्रेम वाटिका” है।
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