Bimbisar ka uttaradhikari kaun tha :- नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप लोग आशा करता हूं आप बिल्कुल ठीक होंगे आपका हार्दिक स्वागत है हमारे इस लेख में आज के इस लेख के मदद से बिम्बिसार का उत्तराधिकारी कौन था के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने वाले हैं।
यह सवाल मगध के इतिहास से जुड़ा है। कई कई बार तो यह सवाल परीक्षाओं में भी पूछ दिया जाता है। और कई सारे ऐसे लोग हैं जो इस सवाल का जवाब नहीं दे पाते हैं तो उन सभी लोगों के लिए ही हमने इस लेख को लिखा है तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को बिना देरी किए हुए।
bimbisar ka uttaradhikari kaun tha | बिम्बिसार का उत्तराधिकारी कौन था
” अजातशत्रु ” बिम्बिसार का उत्तराधिकारी था। |
दोस्तों हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि अजातशत्रु बिम्बिसार का पुत्र था। अजातशत्रु ने अपने पिता की हत्या की थी और बिम्बिसार का उत्तराधिकारी बन गया था।
बौद्ध ग्रंथ विनयपिटक के अनुसार बिम्बिसार ने अपने पुत्र आजातशत्रु को युवराज घोषित कर दिया था। परंतु अजातशत्रु एक राज्य का राजा बनना चाहता था और वह राज्य जल्दी पाने के लिए अपने पिता बिम्बिसार का हत्या कर दिया। इस काम को करने के लिए बौद्ध के चचेरे भाई देवदत्त ने षड्यंत्र रच कर उसे उकसाया था।
बिंबिसार कौन था ?
बिंबिसार एक राजा था और वह हर्यक वंश का संस्थापक था। बिम्बिसार की राजधानी (राजगृह) यानी कि गिरीव्रज थी। बिंबिसार के जुड़ी जानकारी हमें बौद्ध ग्रंथ महावंश में विस्तार से मिलती है।
बिंबिसार तकरीबन 544 ईसा पूर्व में मगध का राजा और शासक बना था। महावंश के अनुसार बिंबिसार लगभग 14 से 15 वर्ष की आयु में ही मगध का राजा बन चुका था।
हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि मगध भी लगभग 16 महाजनपदों में से एक था ( उन सभी 16 महाजनपदों का उल्लेख हमे बौद्ध ग्रंथ अंगुत्तर निकाय तथा जैन ग्रंथ भगवती के सूत्र में अछे से मिलता है)
मगर कालांतर में बिंबिसार ने मगध का विस्तार पूर्ण रूप से किया और मगध को एक महाजनपद से एक साम्राज्य बनाया । बिंबिसार एक महत्वकांक्षी तथा शक्तिशाली शासक था।
बिंबिसार के शासनकाल में सभी प्रजा काफी सुखी और संम्पन थी। यह अपने प्रजा की देख भाल काफी बेहतरीन ढंग से किया करता था ।
बिंबिसार का जीवन परिचय
बिंबिसार का पूरा नाम बिंबिसार था , बिंबिसार को प्रजा बिंबिसार, श्रेणिक, खादीसार, इत्यादि के नाम से भी पुकारती थी। बिंबिसार का जन्म 558 ईसा पूर्व हुवा था। बिंबिसार के पिता का नाम भाट्टियां था और उसके माता जी का नाम बिंबी था।
बिंबिसार बौद्ध धर्म का था फिर बाद में उसने जैन धर्म अपना लिया था। बिंबिसार को हर्यक वंश का संस्थापक भी माना जाता है। कुछ सूत्रों और इतिहासों के हिसाब से बिम्बिसार ने 500 से भी अधिक रानियों से विवाह किया था और उसके 500 से भी अधिक पत्नियां थी।
बिंबिसार के प्रमुख पत्नियों के चेल्लना, खेमा और कोशाला देवी है। हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि बिंबिसार/ बिम्बिसार की जीवनी बहुत अद्भुद और ऐतिहासिक रही हैं। क्या आपको मालूम है कि बिम्बिसार के शासनकाल के दूरगामी परिणाम भी मिले, मौर्य साम्राज्य का जैसे विशाल साम्राज्य को स्थापित करने में मदद मिली।
हम आपके जानकारी के लिए बता दे कि राजा बिम्बिसार को मगध राज्य के शुरुआती राजाओं में गिना जाता हैं । शुरुआती दिनों में बिम्बिसार पूरे तरह से गौतम बुद्ध के अनुयाई थे और बहुत ही कठोरता के साथ बौद्ध धर्म मानते थे और उनका पालन करते थे।
तकरीबन 1543 ईसा पूर्व बिंबिसार ने हर्यक वंश की स्थापना के साथ ही मगध राज्य के कार्य भार को अच्छी तरह से संभाला। शुरू से ही बिंबिसार साम्राज्य विस्तार पर ध्यान देना शुरू कर दिया। और वह अपने प्रजा के हिसब से आगे बढ़ता था और उसके राज से उसके प्रजा भी खुश थी।
तो दोस्तों कुछ इसी प्रकार से बिंबिसार की शासन चलती गईं और बिंबिसार की कार्यकाल- 543 ईसा पूर्व से 491 ईसा पूर्व तक था, और 491 ईसा पूर्व में बिंबिसार का पुत्र आजातशत्रु में उनकी हत्या कर दी।
कुछ सूत्रों के अनुसार ऐसा माना गया है कि आजातशत्रु राजा बंनाने उतावला था, और इसी में उसने राजगद्दी की होड़ मे अपने पिता की हत्या कर दिया।
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