Damin e Koh Kya Hai :- आज के इस लेख की मदद से हम दामिन–ए–कोह क्या है, के बारे में जानने वाले है।
आपने ऐतिहासिक चीज़े पढ़ते समय इस दामिन–ए–कोह का नाम अवश्य सुना होगा।
मगर क्या आपको मालूम है, कि दामिन–ए–कोह क्या है और दामिन–ए–कोह का अर्थ क्या है ?
अगर आपका जवाब ” ना ” है, तो आप हमारे एक लेख के साथ अंत तक बने रहे, क्योंकि हमने इस लेख में इसी से जुड़ी जानकारी साझा की है।
Damin e Koh Kya Hai | दामिन–ए–कोह क्या है ?
दामिन–ए–कोह भागलपुर में स्थित एक खास जगह का नाम है। ऐसा माना जाता है कि, भागलपुर से लेकर राज महल तक एक वन क्षेत्र था, और उसे ही दामिन–ए–कोह के नाम से जाना जाता था। यह बात काफी समय पुरानी है, जब भारत में अंग्रेजी शासन का राज था।
क़ानूनन तौर पर अंग्रेजी सरकार ने सांथाल जाति को बचाने के लिए इस ” दामिन–ए–कोह ” क्षेत्र का निर्माण किया था। जबकि यह एक दिखावा था, असल मे ब्रिटिश सरकार ” सांथाल ” जाति के लोगों को इस क्षेत्र में एक खास वजह से बसाना चाहती थी।
अंग्रेजी सरकार ” सांथाल ” जाति के लोगो इस लिए बसाना चाहती थी, कि वह इस क्षेत्र को अच्छे ढंग से साफ करवा सके और इस जमीन पर ” सांथाल ” जाति के लोगो के मदद से खेती शुरू करवा सके।
लगभग 1832 में अंग्रेजी सरकार ने इस भागलपुर के जंगलों को साफ करवाने और खेती करवाने के लिए ” सांथाल ” जाति के लोगों को यह स्थान दान में दिया।
” सांथाल ” जाति के लोग अंग्रेजी सरकार के दान से काफी खुश थे, ” सांथाल ” जाति के लोगों को इस जमीन पर खेती करने और हल चलाने में कोई दिक्कत नहीं थी।
अंग्रेजी सरकार का उद्देश्य धीरे धीरे पूरा होने लगा और ” सांथाल ” जाति के लोग जंगलों पर खेती करने भी लगे थे। तो कुछ इस प्रकार से दामिन–ए–कोह का जन्म हुआ।
संथालो का ” दामिन–ए–कोह ” तक का सफर
कुछ इतिहासकारों का मानना है, कि शुरुआत में ” सांथाल ” जाति के लोग एक पहाड़ पर रहने का मन बनाए थे और वह पहाड़ पर बसने के लिए चल भी दिए थे।
मगर जब ” सांथाल ” जाति के लोग राज महल की पहाड़ियों पर बसना शुरू किये थे, तब पहाड़ियों पर रहने वाले लोग और वहाँ के अगल बगल के लोगों द्वारा उनका प्रतिरोध करना शुरू कर दिया गया।
” सांथाल ” जाती के लोग काफी कष्ट सह रहे थे, क्योंकि उन्हें पहाड़ों पर आने नही दिया जा रहा था, उनके लिए पहाड़ों पर रोक लगा दी गया था।
पहाड़ी क्षेत्र के मूल निवासियों द्वारा ” सांथाल ” जाती के लोगो को पहाड़ के भीतर जाने के लिए बेबस कर दिया गया।
” सांथाल ” जाती के लोग जब पहाड़ के अंदर चले गए, तब उन्हें निचली पहाड़ियों और घाटियों में आने से भी रोक दिया गया।
संथालो को पहाड़ी के चटान वाले इलाकों तथा बंजर और शुष्क इलाकों में रहने के लिए मजबूर कर दिया गया। जिसकी वजह से उनके रहन–सहन पहनाओ, और उनके जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ा और वह धीरे–धीरे ग़रीब के साथ साथ अशिक्षित भी होते चले गए और उनकी जाती विलुप्त होने की कगार पर आ गई।
जब ” सांथाल ” जाती के लोगों पर इतना ज्यादा ज़ुल्म हो रहा था, तब ब्रिटिश सरकार के दिमाग में एक ख्याल आया और उन्होंने इस मौका का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश की, ब्रिटिश सरकार ” सांथाल ” जाति के लोगों की नजर में अच्छा बनने के लिए उन्हें एक जमीन दान में दिया और उस जमीन पर खेती करने का आदेश दिया और फिर ” सांथाल ” जाति के लोग अपने जीवन से तंग आने की वजह से उन्होंने इस दान को अपना लिया और उस जमीन पर खेती करने के लिए हाँ मान लिया।
” सांथाल ” जाति के लोग वहाँ पर खेती करके थोड़े बहुत विकसित भी हुए और वो अंग्रेजी शासन के साथ काम करने के बाद, साहूकारों के साथ लेन देन भी करते थे।
दामिन ई कोह का क्या अर्थ है ?
दामिन ई कोह का अर्थ पहाड़ियों क्षेत्र वाला जगह है और यह शब्द ” सांथाल ” जाति के लोग से जुड़ा हुआ है।
दामिन ए कोह की घोषणा कब हुई ?
दामिन ए कोह की घोषणा तकरीबन 17 जुलाई 1823 को ब्रिटिश शासन द्वारा की गई थी।
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