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कोयले कैसे बनते है ? कोयले कितने प्रकार के होते है ?

कोयले कैसे बनते है ? कोयले कितने प्रकार के होते है ?

कोयले कैसे बनते है ? कोयले कितने प्रकार के होते है ?

Koyla Kaise Banta Hai :- भारत में कोयला सबसे महत्वपूर्ण और प्रचुर मात्रा में जीवाश्म ईंधन है।

देश में ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए लगभग 55 प्रतिशत कोयले को संग्रहित करने की आवश्यकता है। कोयला खनन 1774 में शुरू हुआ, जब ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा रानीगंज कोलफील्ड ( पश्चिम बंगाल ) का व्यावसायिक रूप से दोहन किया गया।

भारत के पास अमेरिका, रूस, चीन और ऑस्ट्रेलिया के बाद दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा कोयला भंडार है।

आज के आर्टिकल में जानेंगे, कि कोयला कैसे बनता है ? और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई ? साथ ही यह कितने प्रकार के पाए जाते है ? तो अगर आप भी कोयला से जुड़े ज्ञान अर्जित करना चाहते है, तो इस आर्टिकल को अंत तक ज़रूर पढ़े।

कोयला कैसे बनता है ? | Koyla Kaise Banta Hai

जीवाश्म ईंधन का निर्माण प्राचीन जीवों के अवशेषों से हुआ है। कोयले के निर्माण में लाखों साल लगते हैं और इसकी मात्रा वर्तमान में सीमित है।

करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर अनेक प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप ज्वालामुखी का फटना, बिजली गिरना इन सब के कारण पृथ्वी पर पेड़-पौधे और जीव, ज़मीन के अंदर दब गए।

ऐसी जगहों पर लगातार कई वर्षों तक पानी जमा रहा। जिसके कारण कोयले का निर्माण हुआ।

कोयले के प्रकार | Koyla Ke Prakar

कोयले में कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयले के 4 प्रमुख प्रकार है।

1. लिग्नाइटकोयला

  • यह कोयले का निम्नतम ग्रेड है। यह भूरे – काले रंग का होता है।
  • भारत में हर जम्मू कश्मीर, गुजरात, केरल आदि क्षेत्रों में मिलता है।
  • इस कोयले में 40 से 50% तक कोयले की मात्रा होती है।
  • लिग्नाइट कम ज्वलनशील होता है तथा इसमें नमी की मात्रा अधिक पाई जाती है।

2. बिटुमेनीकोयला

  • यह कोयले की अच्छी तरह से निर्मित किस्म है।
  • यह ज्यादातर काले रंग का होता है, लेकिन कभी-कभी यह काला-भूरा भी हो सकता है।
  • इसमें कार्बन की मात्रा 60 से 80% तक पाई जाती है।
  • बिटुमेनी कोयले में नमी और वाष्पशीलता कम मात्रा में होती है।

3. ऐंथ्रासाइटकोयला

  • यह कोयले का उच्चतम ग्रेड है। यह किस्म पूरी तरह से चमकदार काले रंग की होती है।
  • यह ज्यादातर घरेलू और व्यावसायिक स्थानों को समान रूप से गर्म करने के लिए इसका उपयोग करता है।
  • यह कोयला भारत में जम्मू कश्मीर के ” रियायत क्षेत्र ” में पाया जाता है।
  • ऐंथ्रासाइट कोयले में कार्बन की मात्रा 80 से 90% होती है।

4. पीट

  • कोयले के विकास से जुड़ा यह पहला चरण है। यह लकड़ी जैसा दिखता है।
  • यह निम्न गुणवत्ता वाला कोयला है। इसमें उच्च नमी सामग्री और कम गर्मी क्षमता है।
  • इस कोयले में लगभग 40% कार्बन होता है। इसमें नमी की मात्रा बहुत अधिक होती है।
  • इसके दहन से भारी मात्रा में अवशेष निकलते हैं। इस प्रक्रिया से धुआँ और राख अवशेष के रूप में रह जाते हैं।

कोयले का उपयोग कहां किया जाता है ?

  • भारत में कोयले का उपयोग परिवहन के लिए ट्रेनों में कोयला इंजन में, घरेलू ईंधन में, अधिक गर्मी उत्पन्न करने के लिए किया जाता है ।
  • भारत में इसका उपयोग थर्मल पावर प्लांट में बिजली बनाने में किया जाता है।
  • बिजली उत्पन्न करने में कोयले का उपयोग किया जाता है ।
  • कोयले का उपयोग खाना बनाने के लिए किया जाता है।
  • कोयले का उपयोग रेल गाड़ी चलाने में भी किया जाता था,  लेकिन वर्तमान में इसका उपयोग नहीं होता है।

ज़मीन से कोयला कैसे निकाला जाता है ?

  • कोयला निकालने के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों और बहुत सारे लोगों की जरूरत पड़ती है।
  • कोयला निकालने के लिए सबसे पहले ज़मीन में खुदाई की जाती है। खुदाई सावधानी से की जाती है, जिससे ज़मीन नीचे ना ढह जाए।
  • खदान में जाने के लिए चौड़ा रास्ता होता है, जिसमें बड़े-बड़े ट्रक जाते हैं।
  • जब खुदाई पूरी हो जाती है, तो उसको पट्टे की सहायता से ऊपर की ओर खींच कर बाहर निकाला जाता है।
  • कोयले को बाहर निकालने के बाद उसकी किस्म के आधार पर उसे अलग-अलग बांटा जाता है।
  • इसके बाद कोयले का ट्रांसपोर्ट अलग-अलग स्थानों पर किया जाता है।

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