X-Ray Ki Khoj Kisne Ki :- पहले के समय में लोगों का उपचार करने में काफी ज्यादा दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता था तथा यदि कोई बड़ा विक़ार हमारे शरीर में उत्पन्न हो जाता था, तो इसके लिए हमें शरीर के उस भाग पर चीरा लगाकर देखना पड़ता था, कि उसका उपचार कैसे किया जाएगा।
लेकिन आज के समय में X-ray की मदद से यह सब कुछ आसान हो गया है। चाहे शरीर में कोई छोटा सा लोहे का टुकड़ा घुसा हो, या हड्डी टूटी हुई हो, मैमोग्राफी, स्तन कैंसर, मानसिक जांच पद्धति, निमोनिया, हार्ट फैल इन सब के लिए X-ray का इस्तेमाल किया जाता है।
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम बात करेंगे, की X-Ray क्या होता है ? इसकी खोज किसने की ? और साथ ही हम X-Ray से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातो के बारे में जानेंगे, तो चलिए शुरू करते है।
X-Ray क्या होता है ?। X-Ray Kya Hota Hai
X-Ray की मदद से हम बिना किसी व्यक्ति को छुए, उस व्यक्ति के अंदर उपस्थित विक़ार को देख सकते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं, कि X-Ray Ki Khoj Kisne Ki ? X-Ray की खोज कैसे हुई ? चलिए इस बारे में जानते है।
X-Ray की खोज किसने की ?। X-Ray Ki Khoj Kisne Ki
X-Ray की खोज एक भौतिकी प्रोफेसर ” Wilhelm Conrad Rontgen ” ने की थी। इस X-Ray की खोज सन 1895 में की गई थी। हालांकि यह खोज करी नहीं गई थी, बल्कि हो गई थी।
जी हां! आपने बिल्कुल सही पढ़ा, X-Ray की खोज कभी की ही नहीं थी, बल्कि यह खोज गलती से हो गई थी।
Wilhelm Conrad Rontgen कौन थे ?
सर Wilhelm Conrad Rontgen या प्रोफेसर Wilhelm Conrad Rontgen का जन्म 27 मार्च 1845 को जर्मनी के प्रशिया साम्राज्य में हुआ था।
यह जर्मनी के लेन्नेप में पैदा हुए थे। इन्होंने स्विट्जरलैंड से साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में डिग्री प्राप्त करी तथा इसके बाद में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिक जो कि स्विट्जरलैंड में थी, वहां से अपनी शिक्षा प्राप्त करी थी।
चाहे X-Ray की खोज गलती से ही की गई हों, लेकिन X-Ray की खोज किए जाने का श्रेय प्रोफेसर Wilhelm Conrad Rontgen को ही दिया जाता है।
इसके अलावा ” Magnetoelectric Effect ” तथा ” Dielectric Elastomer ” की खोज भी इन्हीं के द्वारा की गई थी।
इसके अलावा इन्हें Barnard Medal, भौतिक विज्ञानी में Nobel Prize Award, Rumford Medal, Matteucci मेडल से नवाजा गया है।
X-Ray की खोज कैसे हुई ?
X-Ray की खोज अपने आप में एक एक्सीडेंट था। यह खोज गलती से हुई थी।
जब सन 1895 में प्रोफेसर Wilhelm Conrad Rontgen अपने लेबोरेटरी में कैथोड किरणों पर परीक्षण कर रहे थे, तब वह यह जानना चाहते थे, कि क्या कैथोड किरणें बंद कांच की नली से गुज़र सकती है या नहीं ।
इसके लिए उन्होंने एक कैथोड की ट्यूब को भारी तथा काले कागज़ से कवर किया था। लेकिन जब उन्होंने कैथोड किरणों को कैथोड ट्यूब के ऊपर डाला, तब उन्होंने देखा कि कैथोड ट्यूब को चीर करके, कुछ किरणें फ्लूरोसेंट स्क्रीन पर प्रक्षेपित हो गई है।
यह एक रहस्यमयी प्रकाश के तौर पर देखा गया, जो ठोस वस्तुओं पर छाया छोड़ देता है। प्रोफेसर Wilhelm Conrad Rontgen को नहीं पता था, कि यह किरणें कौन सी थी। इसलिए उन्होंने इस किरण को एक्स किरण यानी कि X-Ray का नाम दिया।
इसके बाद में मेडिकल के क्षेत्र में एक्स किरणों का इस्तेमाल करना शुरू किया गया। यानी कि चाहे बंदूक की गोली लगी हो, हड्डियों में फ्रैक्चर हो, गुर्दे की पथरी हो, या किसी व्यक्ति ने कोई वस्तु निगल ली हों, इसके अलावा किसी व्यक्ति के शरीर में कैंसर हो तो इसके बारे में X-ray से पता लगाया जा सकता था।
X-Ray का काफी ज्यादा इस्तेमाल मेडिकल फ़ील्ड में किया जाने लगा। इसके बाद सन 1919 में भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में Wilhelm Conrad Rontgen को X-Ray की खोज करने के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
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