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भाषा के कितने रूप होते हैं ? | Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain

भाषा के कितने रूप होते हैं ? | Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain

भाषा के कितने रूप होते हैं ? | Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain

Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain :- आज के इस पोस्ट मे हम लोग जानेंगे, कि Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain, तो यदि आप नहीं जानते हैं और जानना चाहते हैं, तो कृपया इस पोस्ट के साथ पूरा अंत तक बने रहें।

क्योंकि इस पोस्ट में आपको पूरा विस्तार से जानने को मिलेगा कि भाषा के कितने रूप होते हैं तो बिना किसी विलंब के चलिए इस आर्टिकल को शुरू करते हैं।

भाषा के कितने रूप होते हैं ? | Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain

भाषा के मुख्यतः 3 भेद होते हैं :-

  1. मौखिक भाषा
  2. लिखित भाषा
  3. सांकेतिक भाषा

1. मौखिकभाषाकिसे कहते है ?

मौखिक भाषा भाषा के वह रूप होता है, जिसमें किसी भी व्यक्ति को अपने मन और दिमाग के बातों और विचारों को बोलकर समझाया जाता है।

यानी की भाषा के इस रूप मे व्यक्ति किसी को बोलकर कुछ भी समझा सकता है मौखिक भाषा का उपयोग करने से किसी भी व्यक्ति को समझाने में काफी आसानी होती है और वह व्यक्ति काफी कम समय में अच्छी तरह से कोई भी चीज को समझ सकता है।

जैसे कि:-  उदाहरण के तौर पर जिस प्रकार से हम लोग क्रिकेट स्टेडियम में देखते हैं, कि क्रिकेट मैच के दौरान commentator खेल में होने वाली गतिविधियों के बारे में सबको बोल कर बताते हैं या, जब हम लोग किसी से फोन पर भी बात करते हैं, तो अपने बातों और विचारों को बोल कर कहते हैं, इसे ही मौखिक भाषा कहा जाता है।

2. लिखितभाषाकिसे कहते हैं ?

लिखित भाषा भाषा का वह रूप होता है जिसमें हम लोग किसी भी व्यक्ति को समझाने के लिए अपने बातों और विचारों को लिखकर व्यक्त करते हैं।

उदाहरण के तौर पर पुराने जमाने में जिस प्रकार से लोग अपने बातों विचारों को लिखकर किताब और ग्रंथों के माध्यम से समझाते थे यह भी लिखित भाषा का सबसे अच्छा उदाहरण है।

पुराने जमाने में जिस प्रकार से लोग पत्र लिखकर अपने भावनाओं और बातों को व्यक्त करते थे और सामने वाला व्यक्ति भी पत्र पढ़कर लिखने वाले व्यक्ति की बातों और भावनाओं को समझते थे उसी को लिखित भाषा कहा जाता है आज के समय में लिखित भाषा के कुछ उदाहरण हैं जैसे कि किताबें, अखबार, इत्यादि।

3. सांकेतिकभाषाकिसे कहते है ?

सांकेतिक भाषा भाषा का वह रूप होता है जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति सिर्फ संकेत देकर सामने वाले व्यक्ति को अपने भावनाओं और विचारों को व्यक्त करता है उसी को सांकेतिक भाषा कहते हैं।

सांकेतिक भाषा का प्रयोग खासकर वे लोग करते हैं जो मूक-बधिर होते हैं, वे अपने बातों को व्यक्त करने के लिए सामने वाले व्यक्ति से सांकेतिक भाषा मे बात करते हैं और सामने वाला व्यक्ति भी उनके इशारों के माध्यम से उस व्यक्ति की भावना और मनोदशा को समझ लेता है।

यदि हम उदाहरण की बात करें तो इसका सबसे अच्छा उदाहरण है चौराहे पर खड़े ट्रैफिक पुलिस जो कि अपने सांकेतिक भाषा और इशारों से पूरे ट्रैफिक को कंट्रोल करता है।

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