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भारत की राजधानी कहाँ है ? | Bharat Ki Rajdhani Kahan Hai

भारत की राजधानी कहाँ है ? | Bharat Ki Rajdhani Kahan Hai

भारत की राजधानी कहाँ है ? | Bharat Ki Rajdhani Kahan Hai

Bharat Ki Rajdhani Kahan Hai :- भारत की सांस्कृतिक व धार्मिक विरासत पूरे विश्व में सबसे प्राचीन मानी जाती है। अलग-अलग कालखण्डों में इस देश की राजधानी भी परिवर्तित होती रही।

वैसे तो प्रत्येक सम् प्रभु देश की एक केंद्रीय राजधानी होती है, जहां से वहां की केंद्रीय सरकार अपने कार्यों का सम्पादन करती है। तो अब आपके भी मन में Bharat Ki Rajdhani Kahan Hai इसे जानने की जिज्ञासा जरूर जागी होगी।

हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको Bharat Ki Rajdhani Kahan Hai इस प्रश्न का विस्तार से उत्तर देंगे, जिससे आपके मन में भारत की राजधानी से जुड़े जितने भी सवाल मन में हैं सभी की जानकारी आपको प्राप्त हो।

भारत की राजधानी कहाँ है ? | Bharat Ki Rajdhani Kahan Hai

पूरे विश्व में 7 महाद्वीप और 5 महासागर हैं, जिसमें भारत एशिया महाद्वीप का हिस्सा है। वैसे तो भारत क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व का 7वाँ बड़ा देश है और जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे नम्बर का सबसे बड़ा देश है, तो इतने विशाल देश की राजधानी कहां है, इसका उत्तर है – नई दिल्ली जो एक केंद्रशासित प्रदेश है।

अंग्रेज के समय से पूर्व में भी दिल्ली भारतवर्ष की राजधानी रही है, लेकिन राजवंशों की लड़ाई के कारण पूरे देश का केंद्रीय नेतृत्व दिल्ली से कम ही हुई है।

अंग्रेजों के कालखण्डों में भारत की राजधानी कलकत्ता रही फिर 1911 में अंग्रेजों ने बार-बार कलकत्ता से उठने वाले विरोध और स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने के लिए अपनी राजधानी दिल्ली बना ली।

दिल्ली का प्राचीन इतिहास

दिल्ली का इतिहास महाभारत काल जितना पुराना है, माना जाता है, कि दिल्ली 5000 वर्ष पूर्व भी रही होगी, क्योंकि जब पांडवों और कौरवों में राज्य का बँटवारा हुआ, तो इन्हें खांडवप्रस्थ नामक बंजर जमीन दी गयी और यह खांडवप्रस्थ अभी की दिल्ली ही है।

इस बंजर पड़े खांडवप्रस्थ को एक सुंदर सा नगर बनाने के लिए पांडव श्रीकृष्ण के पास गए, जहां उनके कहने पर भगवान विश्वकर्मा ने इस नगरी का निर्माण शुरू किया और जब यह नगरी तैयार हो गयी, तब इसका नाम इंद्रप्रस्थ रख दिया गया।

कहा जाता है, कि इंद्रप्रस्थ उस समय का सबसे सुंदर शहर था, जो आज की दिल्ली है।

पुरातात्विक विभाग के अनुसार 300 ईसा पूर्व से ही लोग यहां रहते थे। दिल्ली में स्थित लौहस्तम्भ से पता चलता है, कि इस लौह स्तम्भ को तोमर वंशीय राजा अनंगपाल द्वितीय ने 10 वीं शताब्दी के अंत में बनावाया था, जिससे पता चलता है, कि दिल्ली तोमर राजवंश के अधीन रही होगी।

इसलिए इतिहास में  दिल्ली के संस्थापक के रूप में राजा अनंगपाल प्रसिद्ध हैं। चंदरबरदाई द्वारा रचित पृथ्वीराज रासों में 1200 ई. के आसपास दिल्ली में तोमर वंशीय शासकों का राज था, इसका उल्लेख भी मिलता है और दिल्ली के लिए दिल्लीका शब्द का उपयोग बार-बार आया है।

जिससे पता चलता है, की इसका किसी कालखण्ड में नाम दिल्लीका भी रहा होगा, जिसकी पुष्टि कोई भी शिलालेख या ताम्रपत्र या पुरातात्विक स्रोत नही करते।

पुरातात्विक स्रोतों व साहित्यिक स्रोतों के आधार पर यह माना जा सकता है, कि 1200 ई. से 1857 तक दिल्ली सल्तनत व मुगल सल्तनत का राज्य रहा। दिल्ली सल्तनत में कुल पांच राजवंशों ने शासन किया।

  1. गुलाम वंश
  2. खिलजी वंश
  3. तुगलक वंश
  4. सैयद वंश
  5. लोधी वंश

दिल्ली सल्तनत में अंतिम शासक इब्राहिम लोधी रहा, जिसे बाबर ने हराकर मुगल साम्राज्य की स्थापना की। दिल्ली में मुगल काल के पहले शासक बाबर हुए और अंतिम शासक बहादुर शाह जफ़र हुए। दिल्ली में कुछ प्रमुख मुगल शासक थे।

  1. बाबर
  2. हुमायूँ
  3. अकबर
  4. जहांगीर
  5. शाहजहाँ
  6. औरंगज़ेब
  7. बहादुर शाह जफ़र

1857 में अंग्रेजों दिल्ली के शासक बहादुर शाह जफ़र को रंगून जेल भेज दिया, जहाँ उनकी मृत्यु हो गयी और इस प्रकार दिल्ली ब्रिटिशों के कब्ज़े में आ गयी। 1947 में देश के आजाद होने के बाद पुनः दिल्ली को देश की राजधानी घोषित की गई।

अंग्रेजों ने दिल्ली को कब राजधानी बनाया ?

दिल्ली दरबार का आयोजन अंग्रेजों ने सन 1877, 1903 व 1911 तक तीन बार किया। दिल्ली दरबार का आयोजन दिल्ली में इंग्लैण्ड के राजा और रानी के सम्मान में और उनके राजतिलक के लिए किया जाता था।

1911 के दिल्ली दरबार में इंग्लैण्ड के राजा जार्ज पंचम और महारानी मेरी आये थे, जिनका खूब भव्य स्वागत किया गया। और इसी दिल्ली दरबार में भारत की राजधानी जो पूर्व में कलकत्ता थी, उसे अब दिल्ली बना दिया गया। 1911 से ही भारत की राजधानी दिल्ली बनी।

दिल्ली में सरकारी भवनों के निर्माण का कार्य एडविन लुटियन को मिला, जिनके निर्देश पर पुरानी दिल्ली के कुछ हिस्सों को ध्वस्त कर दिया गया और वहां औपनिवेशिक शैली के बहुत बड़े-बड़े भवनों का निर्माण किया गया, जब दिल्ली को व्यवस्थित बना लिया गया, तब 1931 में भारत के वायसराय लार्ड इरविन ने इस खूबसूरत शहर का उदघाटन किया।

दिल्ली के कुछ रोचक तथ्य

  • मुंबई के बाद दिल्ली सबसे अमीर शहर है, यहां 18 अरब पति और 23 हजार करोड़पति हैं।
  • प्रति व्यक्ति GDP के मामले में दिल्ली देश में दूसरे नम्बर पर है।
  • इतिहास में सबसे अधिक लड़ाई दिल्ली की गद्दी पर बैठने के लिए हुई और राजाओं के इस युद्ध के कारण दिल्ली साथ बार ध्वस्त हुई तो वही साथ बार इसका पुनर्निर्माण कराया गया।
  • दिल्ली का 20% भाग हरे-भरे पेड़-पौधों से ढका हुआ है यह देश के सभी महानगरों में सबसे अधिक हरियाली युक्त शहर है।
  • दिल्ली विश्व का दूसरा सबसे अधिक प्रदूषित शहर बन गया था ।

दिल्ली के प्रमुख पर्यटन स्थल

1. अक्षर धाममंदिर

हिंदुओं का पूरे विश्व में सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। यह मंदिर 100 एकड़ के भूभाग में फैला हुआ है। विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू धार्मिक स्थल होने के कारण इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है।

2. राज घाट

राज घाट बहुत ही खूबसूरत गार्डन है जहाँ हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों की समाधि है, जिनमें गांधी जी की समाधि महत्वपूर्ण है – उनकी समाधि को संगमरमर के पत्थरों से बनाया गया है, जिसमें उनके अंतिम शब्द हे – राम उद्धृत है। राज घाट के पास में ही शांति वन है, जहां देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की समाधि है।

3. लाल किला

लाल क़िले का निर्माण शाहजहाँ ने अपने शासनकाल में करवाया था, इसे बनने में 9 साल लगे थे। यह दिल्ली का सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जहाँ से भारत सरकार को प्रत्येक साल करोड़ो का राजस्व प्राप्त होता है।

इस किले को लाल पत्थरों से बनवाया गया है तथा इस क़िले में बड़े-बड़े सुंदर उद्यान भी हैं, जो इसकी शोभा बढ़ाते हैं। इस किले के अंदर मुमताज महल, रंग महल, खास महल, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, हमाम और शाह बुर्ज भी बनवाया गया है, मुगल शासकों द्वारा इसी लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के दिन भारत के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण कर देश को संबोधित करते हैं।

4. क़ुतुब मीनार

क़ुतुब मीनार का निर्माण कार्य 1199 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने शुरू करवाया था, जिसे इल्तुतमिश ने 1368 में पूरा करवाया।

इस मीनार का नाम शुफी सन्त बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया है। यह पहले 7 मंजिला थी, जो अब पांच मंजिल की हो गयी है, इसके दीवारों पर बहुत से अलग-अलग बादशाहों के नाम लिखे हैं, जिन्होंने समय-समय पर इसकी मरम्मत कराई है।

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